Wednesday, July 28, 2010

संसद को जाता रास्ता

क्या सारे संसद की और जाने वाली सड़क पर जाने के लिए लम्बी पारी खेलते हैं। पत्रकार, युद्याग्पति, मास्टर या ऑफिसर सब के सब संसद तक जाने वाली रोड की तलाश ज़रूर करते हैं। तरुण विजय, मणि शंकर, राम जेठमलानी या और भी कई नाम गिनाये जा सकते हैं। जो अंत में संसद में जा बैठने को बेताब हो रहे थे। लेकिन मजा तो तब आता है जब ये संसद में गैरहाजिर होने लगते हैं। पूरी जीवन भर की थकान, तमन्ना आदि आदि पूरी करने में संसद से ही गायब रहने लगते हैं।
सवाल तो तब पुचा गायेगा जब हाज़िर होंगे। इनको मालुम हो कि १ मिनिट की संसद की कारवाही का खर्च २५ हज़ार रूपये आते हैं। अगर उनकी तू तू मैं मैं के चाकर में संसद थप होता है तो उसकी भरपाई कोण करेगा। जनता के पैसे उडाना रास नहीं आएगा। संसद जा बैठे तो कुछ काम भी कर ले तो बेहतर।

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