Wednesday, August 18, 2010

नशा और स्चूली लड़के

आज स्कूल और कॉलेज हर जगह नशा का वर्चास्वा बढ़ रहा है। पच्कुला हो या चंडीगढ़ या फिर हिमाचल तकिरबन हर जगह नशा का साम्राज्य अपना पैर फैलाता जा रहा है। पचुकला में रहने वाला नकुल कहता है, 'हम वहां गैंग वार भी करते हैं। हमारे पीठ पर पोलिटिकल साथ होता है। वो लोग तुरंत जेल से निकाल लेते है। ' इतना ही नहीं चरस, भंग खाना तो स्कूल लड़कों में बेहद ही आप है। ' मैं तो खुद को इनसे बचने के लिए कुसली में पढने लगा '
कसुअली में भी कोई बोहोत ज्यादा बेहतर इस्थिति नहीं कही जा सकती। यहं भंग खूब चलन में है। शाम होते ही यहं के बासिन्दे शराब और देशी थर्रा में सू जाते हैं। पहाड़ों में भंग खाना और पाना बेहद ही आसन है।
अगर देश के दुसरे कोने कि बात करें तो पायेंगे कि वहा भी नशा लेने का चलन है यहं यह अलग बात है कि नशा लेना का रूप अलग हो जाएगा।
स्कूल की बात करे तो पढ़ों और खुद ही पढो। मास्टर जिस बस हाजरी लगाने तक की ज़िमादारी निभाते हैं। जो पढ़े और पढने की आदत से लाचार हैं वो खुद ही पढ़ते हैं और खेद ही समझते हैं। छात्रों को तो गुरूजी की निजी शरण में जाना पड़ता है।

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