Monday, March 16, 2009

दुनिया उसके आगे

दुनिया उसके आगे

दुनिया उसके आगे ख़त्म नही हो गति जहाँ से आगे हमें कुछ भी दिखाई नही देता। दरसल हमारी आखें वही देखने की आदि हो चुकी होती हैं जिसे हम देखना चाहते हैं। जब की दुनिया किसे के रहने या चले जाने से इक पल के लिए भी थर्टी नही। वो तो अपनी ही रफ्तार से चलती रहती है बल्कि भागती है।

लेकिन उसकी दुनिया जैसे कुछ देर के लिए जैसे रुक गई हो उसके सामने दुनिया इक बार के लिए बड़े ही तेज़ रफ्तार से चक्कर काट गई हो। जैसे ही उसे ऑफिस में बुलाया गए उसे अंदेशा तो हो चुका तह मगर मनन कुबूल नही कर रहा था।

.... हाथ में पिंक स्लिप थमाते हुए कहा गया हम साथ हैं कम्पनी साथ है कोई चिंता की बात नही। पर चिंता तो होनी शरू हो गई। आज बीवी को क्या मुह दिख्यागा जब सब को पता चलेगा की आज से साहब घर में बैठ जाने वाले हैं। लोग तो लोग अपने भी सोचेंगे की नाकारा है इसीलिए बहार किया जाया वरना यही बहार है बाकि त्यों काम कर रहे

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