Monday, June 18, 2018

टीम की ताकत...


कौशलेंद्र प्रपन्न
बहुत प्रसिद्ध वाक्य ‘‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’’ हमसब ने सुना है। इसके अर्थ भी बचपन में ज़रूर रटे व समझे होंगे। जब इस वाक्य के व्यापक मायने की ओर मुड़कर देखते हैं तो कई सारे निहितार्थ समझ में आते हैं। अकेला चना यानी वह व्यक्ति जो समर्थवान तो है लेकिन अपनी ताकत और क्षमता का सही तरीके से इस्तमाल नहीं कर पा रहा है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अकेला बहुत सही प्रदर्शन करते हैं। लेकिन उन्हें टीम में डाल दिया जाए व टीम में काम दिया जाए तो वे टीम-भावना से व टीम में सबके साथ बेहतर कॉडिनेशन से प्रदर्शन नहीं कर पाते। शायद अकेले अकेला अच्छा करते हैं। क्योंकि उसमें किसी और से समायोजन बैठने, कम्यूनिकेशन के दरकार नहीं होते। जितना कि टीम में कॉडिनेशन, कम्यूनिकेशन की आवश्यकता पड़ती है। वे एकला काम करने में विश्वास करते हैं। इस तरह सिंगल पर्फारमर तो होते हैं लेकिन उनमें टीम में काम करने की दक्षता व रूझान की कमी नज़र आती है। ऐसे में टीम लीडर की जिम्मेदारी होती है कि ऐसे इंडिविजूवल पर्फारमर को उसके नेचर और स्कील के अनुरूप काम सौंपे। धीरे धीरे उस व्यक्ति को टीम भावना और टीम वर्क की ओर मोल्ड किया जा सकता है।
वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो अकेले में काम करने की बजाए समूह जिसे टीम वर्क कहा जाता है उसमें विश्वास करते हैं। उनमें टीम के अन्य सदस्यों के साथ कैसे इमोशनल और प्रोफेशनल व्यवहार करने हैं इसकी समझ होती है और उसी के अनुरूप व्यवहार भी करते हैं। समूह में काम करने वालों में समायोजन, कम्यूनिकेशन, विज़न और रणनीति बनाने की क्षमता कुछ ज़्यादा विकसित होती है। इन्हीं बुनियादी स्कील के आधार पर ऐसे पर्फारमर बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इसमें टीम लीडर की सूझ बुझ की पहचान भी हो जाती है कि क्या उसकी नज़र में सभी सदस्यों की क्षमता और दक्षता की पहचान है या नहीं। क्या लीडर की नज़र में सिर्फ बेहतर प्रदर्शन करने वाले सदस्य ही हैं या वे टीम मेंबर भी हैं जो थोड़े कमतर प्रदर्शन कर पा रहे हैं। जो थोड़े कम प्रदर्शन कर पा रहे हैं क्या उनके लिए लीडर के पास कोई विशेष कार्य नीति, रणनीति है या उन्हें वह नज़रअंदाज़ तो नहीं कर रहा है। आदि ऐसे टीम लीडर की विशेषताएं होती हैं जो टीम में काम करने की भावना को हमेशा हवा दिया करता है। टीम में कैसे कम्यूनिकेट करना है, कैसे कॉडिनेट करना है और ज़रूरत के अनुसार इंफर्मेंशन कब और कैसे देना है आदि की समझ टीम लीडर की विशेषता होती है।
एक बेहतर टीम लीडर कमतर पर्फारमर से भी अच्छा काम ले सकता है। उसके पास हर किस्म के और हर स्तर के मानव संसाधन से काम लेने और व्यक्ति को मोटिवेट करने की दक्षता होती है व लीडर की इसकी अपेक्षा की जा सकती है। एक बेहतर टीम लीडर किसी भी सदस्य को पीछे नहीं छोड़ सकता। वह हर व्यक्ति की वैयक्तिक ख़ासियत को ध्यान में रखता है और समय और स्थान के अनुसार उसे समुचित इस्तमाल करता हे। यदि टीम लीडर में इस प्रकार की विशेषता नहीं है तो कई बार वह व्यक्ति की वैयक्तिक ख़ामियत को जाया कर देता है। इसका परिणाम यह होता है कि उसका एक सदस्य जो अच्छा पर्फारमर था वह धीरे धीरे डाउन होने लगता है। दूसरे शब्दों में वह डिमोटिवेशन का शिकार होना शुरू हो जाता है। इससे न केवल टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ता है बल्कि कंपनी और टीम के अन्य सदस्यों पर भी विपरीत प्रभाव छोड़ता है। यदि टीम के मोटिवेशन स्तर को बरकरार रखने हैं कि समय समय पर टीम बिल्डिंग के कुछ एक्सर्साइज कराने चाहिए। कुछ कंपनियां के टीम लीडर व मैनेजर अपनी टीम को दफ्तर के बाहर या भीतर ही कुछ वर्कशॉप या एक्सकर्शन टूर प्लान करते हैं ताकि वर्क से बाहर निकल कर टीम आपस में संवाद कर सकें। इस एक्टीविटी का परिणाम यह होता है कि आफिस के वर्क कल्चर के बाहर निकल कर हर सदस्य एक दूसरे के वैयक्तिक ख़ासियतों से वाकिफ हो पाता है। एक दूसरे को बेहतर तरीके से जान पाता है साथ ही टीम भी भावना विकसित हो पाती है।

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