Friday, April 7, 2017

पास फेल की चक्की में ...

पास फेल की चक्की में पीस रहे हैं बच्चे, पीस रही है शिक्षा। शिक्षा कहीं न कहीं अपने लक्ष्य से भटकी नजर आती है।हमारा मकसद महज अंक और ग्रेड हासिल करने तक महदूद हो चुका है।संभवतः हमारे पास डिग्रियां तो होती हैंलेकिन उस स्तर की समझ विकसित नहीं हो पाती। अफसोसनाक बात यह हैकि फिर भी हमारा पूरा का पूरा ध्यान और मेहनत सिर्फ परीक्षा पास करने तक सिमट चुका है।इससे बेहतर तो यह होता कि हम बच्चों में तालीम की समझ और जीवन में इस्तमाल पर जोर देते। हम उन्हें बता पाते कि जीवन में इनमें से कौन सी चीज, इल्म काम आ सकती है।अपने जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हो। लेकिन जब हम नीति, समिति, राजनीतिक पहलों को देखते हैंतब भी एक निराशा हमें घेर लेती है।कितना बेहतर होता कि हम शिक्षा को आम जिंदगी में इस्तमाल के योग्य बना पाते।
हाल ही में एक बच्चे से आत्महत्या कर ली। वह प्राथमिक कक्षा का नहीं था। बल्कि वह मेडिकल का छात्र था। लेकिन क्योंकि उसने परीक्षा में वही लिख पाने में पीछे रह गया जो पूछा गया था। उसे फेल हो जाने का भय सता रहा था। गांव-घर, यार दोस्त, मां-बाप क्या कहेंगे इसकी चिंता ने उसे इस जिंदगी से जुदा कर दिया।इसमें उस लडके से ज्यादा उस शिक्षा पर सवाल खडे होते हैंजिसने एक एक इंसान की जान ले ली।

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