Monday, April 17, 2017

किस खेत से....


किस खेत से लाई थी गेहूं,
किस पेड़ से डाली
बोलो मेरी चिड़िया रानी
अपनी बातें मुझ से बोलो।
किस बाग से लाई थी लकड़ी
किस नद से पानी,
तिनक तिनका कहां से लाई
अपनी कहो कहानी मैना।
तुमने बुना था घर वो अपना
जहां न धर सकते थे दाना,
तुमने बनाया घर वो अपना,
जोड़ जोड़कर गेहूं का दाना।
दिया जहां पर अंड़ा तुमने
जगह भी वो कितना तंग था,
सेने को सहा घाम दुपहरी तुमने
तिनका ला ला सांझ किया था।
एक दिवस देखा मैंने क्या,
चांच निकाल झांका था नभ में
वो तेरा ही बच्चा था क्या,
मिच मिच करती आंखों में।
सपने संजोए आई थी
जग के इस मेले में
वो सुबह भारी कैसी थी
उड़ गए वे खुले वितान में।
खोई खोई ताक रही थी,
जिसमें पले थे वो दो बच्चे,
कहां गए किस ओर उड़ चले,
क्या वापस वो आ पाएंगे।
आज उदास बैठी थी चिड़िया,
सूझ नहीं रहा था कुछ भी
किस खेत से लाई थी गेहूं
किस पेड़ से डाली
बना उन्हें पाला था।

3 comments:

Unknown said...

चोंच निकाल झांका था नभ में....वाह क्या बात है

BOLO TO SAHI... said...

Thanks Deepak ji for your deep feedback

BOLO TO SAHI... said...

Thanks Deepak ji for your deep feedback

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