Friday, April 21, 2017

फास्ट एवं फ्यूरिअस 8 और हिन्दुस्तानी संवाद


ये छमिया, बीडू, और ऐसे ही संवाद जब अंग्रेजी फिल्म के हिन्दी रूपांतरण में सुनने को मिले तो आपकी पहली प्रतिक्रिया हो होगी? जब आप गोरों और अश्वेत पात्रों को मुंबईया हिन्दी बोलते हुए सुन कैसे एहसास होगा? हां यही तो हुआ है फास्ट एवं फ्यूरिअस 8 फिल्म में। इस कहानी पात्रों के संवाद हिन्दी में तर्जमा करने वाले ने मुंबईया बोलचाल को इस फिल्म में हल्केपन और सरलीकरण के तर्क पर किया गया है। पात्रों के संवाद कई बार महसूस होता है कि वे फिल्म के दृश्य को हंसी और हल्का करने के लिए किया गया है। लेकिन बात काबीले गौर है कि संवादों के अनुवाद में उर्दू-हिन्दी और मुंबईया बोलचाल को ध्यान में रखा गया है। उर्दू के इस्तमाल कई बार इतने साफ तलफ्फूज़ के साथ किए गए हैं कि इन फिल्म के पात्रों की जबान से ए किस्म का हास्य ही पैदा करता है। माना जाता है कि पात्रों के संवाद, परिवेश, वेशभूषा काल खंड़ कहानी को रोचक और प्रासंगिक बनाने में मददगार साबित होते हैं।
नाटक,नुक्कड़, मंचीय कला में ख़ासकर संवाद अदायगी और कहानी कहन की ख़ास शैली ही कहानी को रोचक बनाती है। पात्रों को संवाद, परिवेशीय प्रोपर्टी कहानी को प्रभावकारी बनाती है। गौरतलब है कि पहले भी हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध कहानियों, नाटकों के हिन्दी अनुवाद किए गए हैं। जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हश्चिंद आदि ने जब विश्व के प्रसिद्ध नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया तो उन्होंने न केवल कथ्य को बचाकर रखा बल्कि उस नाटक की बुनियादी पहचान बरकरार रखी। उन्होंने नाटकों के संवाद, पात्रों के नाम, गीत-संगीत भारतीय कर दिए। ताकि वे नाटक भारतीय दर्शकों से जुड़ पाए। इस फिल्म को देखते हुए महसूस हो सकता है कि काशा इसके संवाद और अनुवाद पर थोड़ा और काम हुआ होता।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...