Wednesday, December 17, 2014

जब हमी नहीं होंगे तो किससे लड़ोगे


जब हमी नहीं होंगे
जब हमी नहीं होंगे तो किससे लड़ोगे,
हर सुबह,
चाय से लेकर नहाने तक,
आॅफिस पहंुच कर
किससे करोगे शिकायत,
कि दुध क्यों नहीं पीया
रोटी क्यों नहीं ले गए।
कल हमी नहीं हांेगे
बोलो किससे मुहब्बत करोगे
कौन तुम्हें सुबह उठाएगा,
करेगा तैयार आज की चुनौतियों से सामना करने के लिए।
जब हूं पास तो करते हो बेइंतहां नफरत
जब कल नहीं रहूंगा
तो बहाओगे न आंसू
ढर ढर,
जब कभी याद आउंगा किसी काम पर या बातों ही बातों में
क्रोगे याद
कित्ता परेशां करता था जब था।
आॅफिस के दोस्त
होंगे खुश चलो कुर्सी खाली हुई
फलां को बैठाएंगे,
अपन की जमेगी,
दो मिनट का मौन रख
फिर लग जाएंगे काम में,
कभी किसी फाईल में मिलूंगा दस्तख़त के मानिंद,
शायद कागजों में जिंदा मिलूंगा।
जब हूं तो
इत्ती नफरत
नजरें नहीं मिलाते
काटने को दौड़ते हो
मुहब्बत के नाम पर फरमान जारी करते हो
कल नहीं हुंगा तो
हिचकी के संग याद करोगे।

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