Wednesday, December 31, 2014

कैसे कह दूं कि इस साल रहा अच्छा


बच्चों का दफना कर
बहिन को रूला कर
प्लेन को गायब कर
कैसे याद करूं इस साल।
क्या क्या हुआ
कहां कहां रोया भारत
कहां हो गई चूक
हमीं ने मारे हैं पांव पर कुल्हाडी।
जिन बच्चों के पांव में बजने थे रूनझुन पायल
वे नन्हें पांव दफन हैं मिट्टी में
निर्भया की और बहनें रो रही हैं
कैसे कह दूं
साल रहा अच्छा।
अबकी बरस न रोये बहन
घर में हो दीया जोरने वाला कोई
चूल्हा न रहे उदास
कलाई पर बंधी हो आस।
नववर्श मंगलमय हो आप सभी का।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...