Monday, April 7, 2014

टाइटेनिक डूबने से पहले का मंज़र


रैनबक्शी आज सन फार्मा के हाथों 3.2 मिलियन डाॅलर में बिक गई। इससे पहले मंदी के आस-पास 2008 में रैनबक्शी जापान की कंपनी दाइची के हाथों बिक चुकी है। ज़रा कल्पना कीजिए यहां काम करने वाले कर्मियों की मानसिक स्थिति कैसी होगी। हर कुछ सालों में नए ख़रीददार। कौन कैसे बर्ताव करेगा? कौन रहेगा और कौन बाहर होगा जैसी स्थिति में कोई कैसे पल पल जी रहा होगा।
सभी ने देखा और न केवल तीन घंटे बल्कि फिल्म खत्म होने के बाद भी अश्रुपूरित यादों से निकल नहीं पाता। चारों-तरफ हहाकार, चीखपुकार भागदौड़ सब का एक ही प्रयास अपनी जान कैसे बचा सकें। औरत-मर्द, बच्चे, जीव जंतु सब के सब अपनी जान को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
जब कोई कंपनी,उद्योग, संस्था दूसरे के हाथ बिक जाती हैं या बंद होने वाली होती हैं तब कैसी मानसिक स्थिति होती होगी? सब के मालूम हो कि अब हमारे नए आका हैं। कब, किसे, कैसे बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है आदि सवाल सभी कर्मी की पहली प्राथमिकता होती है।
जब बड़ी कंपनी छोटी कंपनी को एक्वायर करती है या फिर मंर्जर होता है तब छोटी कंपनी के कर्मीयों की स्थिति, निर्णय, योजनाओं पर एकबारगी सुनामी सी आ जाती है।

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