Sunday, January 15, 2012

विवाद उठाना भी कला

विवाद बखेड़ा जो भी नाम दें यह भी इक कला है. जो इस कला में माहिर हैं वो हमेशा दिमाग इस बात में लगाते हैं की अब किस पर विवाद उठायागे. टीवी में चेहरे देखने की आदत हो जाती है.
यदि कुछ दिनों से चर्चे में नहीं होते तो नींद नहीं आती. फिर दिमाग के घोड़े दौडाते हैं की क्या किया जाये. अब उड़ीसा के मुख्यमंत्री के नाम कितनो को याद होता है. चेहरे तो श्याद ही किसी को याद हो. यहीं लालू जी का चेहरा देश विदेश में लोग जानते हैं . उन्हें मालुम है की विवाद में कैसे रहा जाए.
टीवी में छाए रहने के कई तरकीब है. चप्पल , स्याही, तमाचा कुछ भी उछाल दो फिर देखिये कैसे नेशनल न्यूज़ में चा जाते हैं. विवाद में खड़े होना जीगर वालों की बात होती है. अखबार, न्यूज़ चानेल हर जगह लोग आलोचना करते हैं आप बिन खर्च के चा जाते हैं.
विवाद संवाद हीनता की स्थिटती में पैदा होता है. कई लोग इसी का खाते हैं. विवाद भी खड़ा karna इक कला है                 

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