Tuesday, January 10, 2012

आज रात वो चाहती

आज रात वो चाहती  थी-
नीद ले पूरी ,
दिन भर काम कर थक गई थी,
पिछले दो दिनों से सो नहीं पाई थी.
न नुचे-
न चुसे,
न मसोसे आज की रात,
चाहती है पूरी आँख भर नींद.
लेकिन उसकी इक्षा पूरी नहीं हुई 
नहीं बच पाई-
आधी नींद में उठाई गई आज की रात,
उठाई गई काछी रात,
सहलाई गई,
रुलाई  गई.
रुलाई गई
प्यार पर रोई पूरी रात,
समझ नहीं पाई क्या yahi प्यार है,
जिसका दंभ भरता  है पूरी रात  पुरुष.
बचावो बचावो की पुकार किस को सुनाये-
साथ में सोव्या,
देता है वचन,
वो गले में लटका जेवर है उसका,
टूट जाए तो दुनिया बेवा कहेगी,
मेरे रहने से तू है सुरक्षित,
माकूल प्यार करता हूँ.
इन्हीं वचनों का अचरा में बंधे,
देखती है सपने,
पोचती है आंसूं ,
लाख चाते हुवे भी नहीं मोड़ पाती उससे अपना मुह,
करवट फेर कर सोती तो है,
पर जाने कब,
सुभा उसी में सिमटी मिला करती है...
                
          
     

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