Sunday, January 25, 2009

मंदी का रोना हुवा पुराना

अब कुछ यूँ कहने की गुंजाईश बचा कर रखें,
जिसमे आप थोडी देर के लिए अपना सब कुछ भूल जायें,
वो क्या हो सकता है?
कुछ पुराने पल ,
दोस्तों के साथ चाँद देखना,
सुंदर लड़की को देख कर....
पर मन को बहलाना जरुरी है,
क्या है की आप खुदी से निराश हो गए तो,
किसे क्या फर्क पड़ने वाला,
कोण आप के गम में साझा होगा,
ख़ुद ही आसू पोछने होंगे,
गिर कर धुल झाड़ कर फिर से भागना होगा,
ताकि खुले मुह को बंद कर सकें।
इसके लिए आपको हौसला बना के रखना होगा।

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