आप अंदाजा लगा सकते हैं की पल में कैसे लोगों के नज़र बदल जाया करते हैं। अभी आप के साथ अच्छे से बात कर रहे थे लेकिन जब पता चलता है आप कुर्सी पर नही हैं वैसे ही उनकी सोच बदल जाती है, आप कुछ नही कर सकते बस खेल देखते जायें। उन लोगो पर तो और ही हसी आती है जो दोस्ती की दुहाई देते नही थकते थे लेकिन वही नज़रें फेर लेते हैं।
कभी सोचा है कैसा लगता होगा?
खैर रहने देन इन बैटन को अब कोई मतलब नही। जब साथ थे तो साडी बार\तें हुआ करती थी, अब तो साहिब दिख्वे की रह गई हैं।
चलिए साहिब आप भी खुश की इक हमारे साथ से गया।
मगर ज़रा सोचे की आप पर जब बात आएगी तब भी इसी तरहं सोचा करेंगे शयद न।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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