Tuesday, July 22, 2008

तोते वाले पंडित जी के पास बैठे रहते

वो अक्सर तोते वाले पंडित जी के पास बैठे रहते थे -
भर भर दुपहरी तोते का निकलना देखते रहते ,
तोता बाहर आता कार्ड निकलता ,
पंडित जी बचाते ,
ठीक ठाणे वाली मोड़ पर।
रोड के किनारे पंडित जी -
बैठे कार्ड पढ़ते ,
बस पाच रुपये लेते ,
चुन्नू दा घर जाते बस खाना खाने बाबा कहते आ गए खाना दो फिर जायेंगे काम पर ।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...