Monday, July 14, 2008

इक आँख है पास

इक आँख है पास जो हर समय
देखती रहती है
मेरी हर बात और हर कदम पर
हर बार चाहता हूँ
आँख की भाषा समझ सकूँ
पर हर बार हार जाता हूँ ।
आँख की बूंदें
पड़ी हैं
आस पास
पर कुछ न बोलते हुए भी
बहुत कुछ कहती हैं ।
आँख से चाँद बातें
टपकती हैं -
कहती हैं ज़रा समझो तो।

1 comment:

Unknown said...

yah aapki khashiyat hai ki aap ekdam se at the moment kavita likh dete hain.

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