Wednesday, July 2, 2008

शहर के किनारे

कई बार सोच कर फिर चुप बैठ जाता हूँ कहाँ तलाशूंगा शहर का शांत कोना
हर तरफ़ भीड़ और शोर पसरा है
लगता है तुम्हारे शहर में शोर है या तुम शोर में रहते हो कई बार सोच कर फिर चुप रह जाता हूँ
कई बार शहर में पसरा शोर डराता रहता है
मगर कुछ तो है

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