Friday, February 5, 2016

बुनियादी कमी उनकी या शिक्षा की



आप कहेंगे कि फिर वही मसला ले कर बैठ गया। लेकिन करूं आज फिर ऐसे ही कुछ और प्रतिभागियों से बातचीत करने का मौका मिला। उन्होंने एम ए, बी एड की डिग्री हासिल कर रखी थी। उनके पास स्कूल में पढ़ाने का तजुर्बा भी था। लेकिन जब पढ़ने की बात आई तो उत्तर था हां पढ़ा तो था एम ए और बी एड करने के दौरान। उसके बाद पढ़ने का मौका नहीं मिला।
माना कि जिंदगी ने पढ़ने का अवसर नहीं दिया। लेकिन अपने विषय की समझ और पकड़ को लेकर क्या कहा जाए। कई बार लगता है कि वत्र्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे छात्रों को इस लायक बनाने में असफल रही है कि डिग्री को सिद्ध करने के लिए उनमें समझ और बोध भी पैदा कर पाए। प्रोजेक्ट्स और एसाइन्मेंट्स के कंधों पर टिकी प्रोफेशनल डिग्रियां दरअसल हकीकतन विफल हो जाया करती हैं। हमें सोचना तो होगा कि क्या हम सिर्फ डिग्रीधारी भीड़ निर्माण करना चाहते हैं कि समझदार और कौशलपूर्ण युवा पीढ़ी।

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