Thursday, October 9, 2008

रावन को जलाया

क्या अपने अन्दर के रावन को जलाया? हर के जेहन में एक नही कई रावन रहा करते हैं। पर हम उस रावन से मुहब्बत किया करते हैं। शायद हम कई बार रावन की सिनाखत नही कर पाते या कभी कभी पहचान कर भी नज़रंदाज करते रहते हैं।
रावन महज एक आदमी नही बल्कि कई मानवीय पहलुवो कर प्रतिक है। हर बार दहन के बाद भी बुराइ समाज से जाती कहाँ है। सब के अब हमारे आसपास घुमती रहती हैं।



2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

sahi hai

36solutions said...

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