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Friday, October 24, 2008
सर्दी यूँ ही
सर्दी यूँ ही दबे पाव आती है सर्दी क्या यूँ ही दबे क़दमों से हमारे कमरे , मौसम और जेहन में प्रवेश करा करती है ... अचानक यूँ ही ?धीरे धीरे पंखा कम से बंद हो जाते हैं। नल का पानी ठंढा लगने लगता है। सुबह पावों में सर्दी प्रवेश करने लगती है।दुःख तो शायद यूँ नही आता। खुशी यका याक आया करता है। दुख भी उसी रस्ते आया करती है।
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