Saturday, June 11, 2016

शिक्षा तो पीछे जानी ही थी



प्रो कृष्ण कुमार का लेख ‘अशोक के फूल’ और ‘परीक्षा और पैगाम’ जनसत्ता के संपादकीय को हिन्दी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला में पढ़ने का दिया। बच्चे क्यों स्कूल से बाहर हो जाते हैं। क्यों अशोक बीच में स्कूल छोड़ जाते हैं और इस साल भी लड़कियां लड़कों को पीछे छोड़कर दसवीं और बारहवीं में अव्वल रहीं। लेकिन क्या वजह है कि वही लड़कियां उच्च शि़क्षा में नजर नहीं आतीं।
एक टीचर ने अपनी घटना से रू ब रू कराया। उन्होंने बताया कि जब वो महज बारहवीं पास कीं तभी उनके पिताजी का देहांत हो गया। भाइयों की शादी करने की बजाए उनकी शादी कर दी गई। लाख मना किया मगर हुआ वही जो मां और परिवार की इच्छा थी। शिक्षा तो पीछे जानी ही थी। सो गई। लेकिन उनकी इच्छा शक्ति और ससुराल की मदद से उन्होंने एम ए और बी एड भी किया।
एक अन्य शिक्षिका ने बताया ‘ उसकी शादी पांचवीं के रिजल्ट आने से पहले ही शादी कर दी गई। वो मेरी कक्षा की सबसे तेज लड़की थी।’ जब उसकी मां उसका रिजल्ट लेनेे आई तो पूछा ‘‘ कहां गई? तो जवाब दिया उसकी शादी कर दी। लड़का अच्छा था। उम्र में बड़ा है लेकिन पुलिस की नौकरी के लिए फार्म भरा है। इससे अच्छा लड़का नहीं मिल सकता।’’
और इस तरह से हमारी लड़कियां आगे चल कर भी पिछड़ जाती हैं।


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