Tuesday, September 15, 2015

शिक्षक प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला भाषा हिन्दी




7 से 10 सितंबर 2015

टेक महिन्द्रा फाउंडेशन और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साझा प्रयास से स्थापित अंतःसेवाकालीन शिक्षक शिक्षा संस्थान में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का सिलसिला जारी है। ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यशाला से जोड़ा जाए इसके लिए हमने एक साझा समझ विकसित कर शिक्षक प्रशिक्षक तैयार करने की योजना बनाई। इस योजना के तहत हमने ईडीएमसी के प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षकों/शिक्षिकाओं को विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर इन्हें शिक्षक प्रशिक्षक के तौर पर तैयार करना है। इसके पीछे हमारा उद्देश्य यह है कि आगामी वर्षों में यही प्रशिक्षक अन्य शिक्षकों की दक्षता विकास कार्यशाला का आयोजन कर सकें।
हमने इन शिक्षक प्रशिक्षक शिक्षकों का चुनाव बड़ी ही सावधानी और जांच-मूल्यांकन के बाद किया है। अभी हमारे पास शहादरा पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में कार्यरत चैदह प्रतिभागी हैं। पिछले साल नंबर में इन प्रशिक्षक शिक्षकों के साथ इंडक्शन कार्यशाला की शुरुआत की गई थी। जो इस वर्ष भी विभिन्न विषयों में समय समय पर कार्यशालाएं जारी रही हैं।
हमने इन मास्टर टेनर की मांगों और आवश्यकताओं का ध्यान में रखते हुए बार चार दिवसीय भाषा हिन्दी की कार्यशाला की येाजना बनाई। यह इसलिए भी जरूरी था कि हमारे शि.प्र. आगामी समय में जब रिसोर्स पर्सन के तौर पर कार्यशाला में जाएं तो हिन्दी भाषा में उन्हें किसी भी किस्म की समस्या न आए।
उद्देश्यः
शिक्षक प्रशिक्षक इस कार्यशाला में हिन्दी और भाषा संबंधी बारीक बुनावट और प्रकृति से परिचित हो सकेंगे
शि.प्र. इस कार्यशाला के उपारांत वे स्वयं स्वतंत्रतौर पर हिन्दी विषय पर सत्र की योजना और कार्यवाही की रणनीति निर्माण करने में दक्ष हो सकेंगे
हिन्दी भाषा को लेकर विभिन्न तरह की भ्रांतियों और अशुद्धियों को ठीक कर सकेंगे और उन्हें आगामी कक्षाओं में हस्तांतरित भी कर सकेंगे
आवश्यकताः
शि.प्र. की ओर मांग आई थी कि उन्हें हिन्दी की बारीक व्याकरण और हिन्दी साहित्य पर समझ विकसित करना
इनकी ख़ुद की हिन्दी अभी इस स्तर की नहीं है कि हम कार्यशाला और कक्षा में हिन्दी पर बोल पाएं
आईटीईआई की एसएमई की टीम ने स्वयं मूल्यांकन के बाद महसूस किया कि इन्हें हिन्दी भाषा दक्षता पर कार्यशाला की आवश्यकता है
पहला दिनः

श्री कौशलेंद्र प्रपन्न ने भाषा की सामाजिक, आर्थिक,भौगोलिक एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बहुत विस्तार से भाषा को गढ़ने में उपरोक्त तत्वों की क्या भूमिका है इसपर परिचर्चा के द्वारा प्रतिभागियों के साथ विमर्श किया। प्रपन्न ने इस सत्र मंे भाषा और हिन्दी के विविध आयामों के तहत परिचर्चा के जरिए विभिन्न बिंदुओं पर गंभीरता से प्रतिभागियों से बातचीत की।
भाषा और हिन्दी की हमारी जिंदगी में क्या महत्व है और क्यों हमें भाषा-हिन्दी पढ़नी ही चाहिए। क्या भाषा के बगैर हमारी जिंदगी चल सकती है। हिन्दी पढ़ाने के दौरान शिक्षक किस प्रकार की दक्षता और कौशलों का ध्यान रखे। एक शिक्षक/प्रशिक्षक में भाषा के किन आयामों पर खासतौर पर ध्यान रखा जाना चाहिए।
दूसरा दिनः
डाॅ रवि शर्मा जो हिन्दी में वर्तनी जैसे मसले के लिए विशेषज्ञ हैं। हमने आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए डाॅ रवि शर्मा को वर्तनी शोधन पर दो दिन की कार्यशाला की योजना बनाने का अनुरोध किया।

पहले दिन उन्होंने भाषा और वर्तनी पर अभ्यास करवाए। उन्होंने प्रतिभागियों को हिन्दी लेखन में होने वाली सामान्य गलतियों पर ध्यान खींचा। उन गलतियों के पीछे क्या कारण है और उसे कैसे ठीक करें इसपर विस्तार पर चर्चा के साथ अभ्यास करवाएं।
दूसरे दिन डाॅ शर्मा ने श्रुत लेख और उसके शोधन का अभ्यास कराया। मानक हिन्दी लेखन, उच्चारण आदि के लिए केंद्रीय हिन्दी निदेशालय की मानक पुस्तिका के जरिए हिन्दी की वर्तमान लेखन परिवर्तित स्वरूपों पर ध्यान आकृष्ट किया।

चैथा दिनः
कार्यशाला का अंतिम दिन यूं तो जेंडर मसले पर तय था किन्तु किन्हीं कारणों से यह संपन्न नहीं हो सका। चैथे दिन माइक्रो टीचिंग की योजना बनाई। इस योजना का मकसद था- प्रतिभागियों को कक्षा शिक्षण के अवसर प्रदान किए जाएं। प्रतिभागी कक्षा शिक्षण करें। हमारी टीम उनके शिक्षण-कौशलों, दक्षता और विभिन्न पहलुओं पर प्रतिभागियों की हैंड होल्टिंग की जा सके इसके लिए टीचिंग अभ्यास आवश्यक था। एक दिन पूर्व सभी प्रतिभागियों को अलग अलग समूह- झेलम, चेनाब, व्यास और गोदावरी में बांटा गया था। इन सभी समूहों को विषय प्रदान कर दिए गए थे ताकि दस तारीख की माइक्रो टीचिंग के लिए खुद का तैयार कर पाएं।
एक एक समूह ने कड़ी मेहनत और लगन से अपने विषय की तैयार की। किन्तु समय की कमी एक बड़ा कारण था कि एक एक व्यक्ति को ज्यादा समय नहीं मिल सका। किन्तु लगभग सभी समूह ने अपनी टीचिंग प्रस्तुति में विषय, कथ्य और प्रस्तुतिकरण को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए।

और अंत में समूह के प्रत्येक सदस्यों ने अपनी अपनी टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएं दीं। ताकि हर किसी को अपनी कमियां मालूम हो सके। अंत में कौशलेंद्र प्रपन्न ले समग्रता में सभी समूह और व्यक्ति के प्रदर्शन पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। किसे किस क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता है इसपर खासतौर पर ध्यान खींचा गया।

आईटीईआई की नजर में-
प्रतिभागियों को यह कार्ययोजना और कार्यशाला का प्रारूप पसंद आया। प्रतिभागियों की राय की मानें तो जिस तरह से हिन्दी पर चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें चार दिन भाषा और हिन्दी पर बातचीत का अवसर उपलब्ध कराया गया इसी तर्ज पर अन्य विषयों की वर्कशाप होनी चाहिए। आगामी माह में हम शि.प्र. समूह के लिए विषयवार चार दिवसीय कार्यशाला की योजना बना सकते हैं।






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