Saturday, August 8, 2015

काव्य संवाद एक नजर मंे




किसी दिन सुबह नहीं आया तो किससे लड़ोगे...गुड की तरह याद आउंगा जब रोटी खाओगे। कौशलेंद्र प्रपन्न की कविता पर जम कर तालियां बजीं। वहीं डाॅ शशि सहगल ने मीठा चावल पंजाबी की कविता का पाठ किया जिसे श्रोताओं ने हाथों हाथ लिया। वहीं दूसरी ओर डाॅ लालित्य ललित की कविता गांव का खत शहर के नाम सुन कर श्रोताओं में एक उत्साह दौड़ गई।
इस कार्यक्रम में टेक महिन्द्रा फाउंडेशन की शिक्षा और थीम प्रमुख डाॅ नुज़हत अली ने महानगर की त्रास्दी को उजागर करते हुए अपनी कविता नए मकान में झांकती हुई चिरियां को याद किया।
कार्यक्रम का संचालन सुश्री शैलजा चैधरी ने किया। अपनी अलग अंदाज़ में श्रोताओं को भरपूर आनंद दिया। सुश्री शैलजा ने कार्यक्रम में छोटी छोटी क्षणिकों और काव्य पंक्तियों से कार्यक्रम में रस का संचार किया।
इस कार्यक्रम में डाॅ नुज़हत अली, श्री सलमान यू खान, मदन मोहन शर्मा, डाॅ मनिषा मिनोचा डाॅ लालित्य ललित, डाॅ शशि सहगल के साथ तकरीबन पचास शिक्षक,शिक्षिकाएं शामिल थीं। श्रोताओं में से श्री विमल कुमार, श्री विनोद कुमार, सुश्री रूचि, सुश्री प्रिया गोस्वामी, सुश्री सुमन लता ने अपनी कविताओं का पाठ किया।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...