Friday, November 7, 2014

हम भी हैं कतार में


जिसे देखो वही कतार में खड़ा
अपनी पारी का करता इंतज़ार रहा,
उम्र गुज़र गई,
आस वहीं की वहीं लटकी रही।
हवा भी इतज़ार में
मकान कुछ नीचे हों तो बहे,
नदी भी खड़ी,
कि जगह मिले तो बहे।
एक हुकारी की प्रतीक्षा में
लड़की खड़ी देहारी पर
बाबू कहें तो सपने पाले
बाबू इंतज़ार में कि बेटे की गर्दन हिले तो जेवार में मान बढ़े।
खेत बेजान पड़ें
कर रहे हैं हल का इंतज़ार,
बैल विश्राम में हाॅफ रहे हैं
दराती घास की लंबाई काटने की प्रतीक्षा में बढ़ रही हैं।
रेड लाईट पर खड़ी कार,
शीशे के पीछे झांकती दो सजल नयन,
एक रुपए के इंतज़ार में बाल खुजलाती खड़ी बुधिया,
मां का स्तन निचोड़ता बच्चा,
आंखों में टंगी उम्मींद,
सब के सब जोह रहे हैं बाट अपनी पारी का।

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