Monday, October 13, 2014

रिपोर्टो को झुठलाती स्कूली हकीकत


हां तमाम रिपोर्ट गैर सरकारी और सरकारी दोनों ही को झुठलाती सरकारी स्कूलों को लेकर जारी हकीकत को आज पानी पीते हुए मैंने देखा। जिन संस्थानों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता के बारे में अपनी रिपोर्ट जारी की है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कमतर होते हैं। कक्षा 5 वीं व छठी में पढ़ने वालों को कक्षा 1 व 2 के स्तर की भाषा नहीं आती। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि रिपोर्ट गलत और झूठा है। आज मैंने पूर्वी दिल्ली के तकरीबन पांच स्कूलों में कक्षाओं में गया। कहीं समाज विज्ञान, कहीं हिन्दी में दिपावली पर लेख, कहीं गिनतियां और कहीं अंगरेजी कराई जा रही थीं। कक्षा 3,4,और 5 वीं में जाने का मौका मिला। बच्चे न केवल बोर्ड से उतारने में दक्ष थे बल्कि वो अगल से पढ़ने और लिखने में भी सक्षम थे।
बोर्ड पर लिखे वाक्यों के अलावे वाक्य और तीन वर्णाें वाले शब्द लिखकर पढ़ने को बोला और बच्चों ने पढ़ा। इन कक्षाओं से निकल कर लगा रिपोर्ट कितनी झूठी तस्वीर पेश करती हैं। पता नहीं किस स्कूल और किस कक्षा में जाकर ये लोग देख आते हैं।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...