Tuesday, July 22, 2014

अभिनय से सीखो भाषा


कौशलेंद्र प्रपन्न
तुम सभी ने कभी न कभी अभिनय किया होगा। मैम ने तुम्हें कक्षा में रोल प्ले कराया होगा। याद आया! हां वही रोल माॅडल प्ले के जरिए हम आज भाषा सीखेंगे। वह इस तरह से होगा कि हिन्दी स्वर और व्यंजन वर्णों को साथ लेकर एक नाटक खेलेंगे। स्वर वर्ण यानी अ, आ, इ, ई वे वर्ण हैं जो बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से बोली जाती हैं। वहीं व्यंजन वर्ण को स्वर वर्णों की मदद की आवश्यकता होती है।
इसका अर्थ यह हुआ कि अ या आ को बोलने के लिए दूसरे किसी वर्ण की जरूरत नहीं होती। वहीं क, ख, ग, घ, च आदि को बोलने के लिए अ, आ, इ, ई आवश्यकता होती है। जब हमें आम बोलना है तो पहले आ, फिर म को मिलाना पड़ता है तभी आम शब्द बनता है।
एक ग्रुप स्वर का है। दूसरा ग्रुप व्यंजन का। अब हम लोग एक शब्द बोलेंगे और तुम लोग उस शब्द के अनुसार जोड़ी में खड़े होंगे। जैसे मान, दान, कान, कमल, जाल, ताल ये दो वर्णां वाले शब्द हैं। आम सभी स्वर और व्यंजन वाले एक बच्चा स्वर का अ, आ है और दूसरे ग्रुप का बच्चा क, ज, ल हैं। जब दोनों बच्चे साथ मिलेंगे जैसे क और ल यानी कल। म, अ, आ, ल, अ मिल कर माल बना। बच्चे इसी तरह शब्द बनाने के क्रम में जोड़ी बनाएंगे।
तुम इस तरह शब्द बनाने और शब्दों की दुनिया से रू ब रू हो सकोगे। शब्द ऐसे ही मिल जुल कर बनते हैं। जैसे तुम लोग आपस में मिल कर खेलते हो उसी तरह शब्द बनाने में जोड़ने का काम करना पड़ता है। तुम देखोगे कि अभिनय के जरिए शब्दों की प्रकृति को समझ पाओगे।
नाक, कान, आंख जैसे शब्दों को साथ मिल कर बनाने के बाद उस शब्द के स्वभाव को प्ले कर के दिखाओ। जैसे उपर शब्द लिखे गए हैं। नाक कहां हैं, कान कहां है उसे दिखाते हुए ग्रुप में उसके नेचर को अभिव्यक्त करेंगे। तुम देखोगे कि इस तरह से अभिनय के जरिए तुम्हारे पास बहुत सारे शब्द बिना याद किए आ गए।


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