जी हाँ कुछ लोग भाषा से खासे नाराज़ हुवा करते हैं। उनके लिए दूसरी भाषा यानि परहेज़ वाली चीज होती है। मेरा भांजा है कहता है हिंदी में बात करने पर जोर देता है। यदि अंग्रेजी में बोलता हूँ तो कहता है हमारी मत्री भाषा हिंदी है। हिंदी में बात करें। अपनापा लगता है।
उसे समझा कर थक गया कि भाषा की ताकत को समझो , भावना को किनारे कर इस भाषा का धामन थम लो भला होगा। अब तो वह फ़ोन तक नहीं उठाता.....
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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