Tuesday, November 2, 2010

शहर जो यादों में बस्ता है

शहर जो यादों में बस्ता है उसे टा उम्र भूल नहीं पाते। वह शहर हमारे साथ डोलता रहता है। कभी इतना वाचाल हो जाता है कि कुछ न बोल कर भी सब कुछ कह जाता है।
मरने के बाद हमारी इक्षा होती है कि हमारी अंतिम यात्रा अपने शहर में ख़त्म।

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