Friday, November 19, 2010

उनकी आखें, सपने और उड़ान

जी हाँ, सपने आखों में बसते हैं तब नींद नहीं आ सकती। अगर नींद आ गई तो सपने कहीं दूर न हो जाये इसका ख्याल रखना होता है। उनकी आखें भी सपने देखा करते हैं लेकिन वो पुरे नहीं होते। यैसे लाखों चिल्ड्रेन हैं जिन्हें दो जून की रोटी और शिक्षा नसीब नहीं। लेकिन दूसरी और विकास के नाम पर हम खूब दूर तक का सफ़र करते हैं। काश उन नन्ही उँगलियों, पावों को पंख दे सकें तो बेहतर हो।

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