Thursday, May 27, 2010

आई हेत यू वैरी मच

आई हेत यू वैरी मच आप इस लाइन पर ज़रा चौक गए होंगे। बात बिलकुल दुरुस्त है। कोई कितने प्यार से आप को कह रहा है आई हेत यू वैरी वैरी मच। इस पर आप क्या सोच सकते हैं? यही न कि सामने वाला नाराज़ है। लेकिन ज़रा सोच कर देखें कि मान लें आज हम यह निश्चित कर लें कि आई हेत यू का मतलब आप को मैं बेहद प्यार करता हूँ। तब आपको बुरा नहीं लगेगा।
भाषा इसी को तो कहते हैं कि जिस शब्द के मतलब हमने निश्चित कर लेते हैं वही अर्थ सदियों तक चलते रहते हैं। धीरे धीरे वही अर्थ रुद्ध हो जाते हैं। कमल नाम सुनते ही हमारे दिमाग में इक खास किस्म का फूल आता है यही तो बिम्ब व् प्रतीक कहलाता है। शब्द इसी तरह हमारे आस पास बनते बिगड़ते रहते हैं। मिट्ठे गढ़ते रहते हैं। यही शब्द हमारे संस्कार में शामिल हो जाते हैं।
भाव के बिना बोले शब्द निरा ध्वनि मात्र होते हैं। लेकिन जब वही हमारे अनुभव से पग कर निकलते हैं तब मन उन्ही शब्दों को सुन कर मयूर सा नाच उठता है। यही तो शब्दों का जादू कहलाता है। वर्ना कई शब्द तो जैसे कोड़े से लगते हैं। कानों में पीड़ा पहुचाते हैं। वहीँ कुछ शब्द यैसे भी होते है जिन्हें सुन कर आप दिन भर मस्त रहते हैं। यूँ तो शब्द अपने आप में कोई मायने नहीं रखते लेकिन जब हमारी ज़िन्दगी की कोई खास पल को उकरते हैं तो वही शब्द हमारे लिए ख़ुशी के सबब बन जाते हैं।

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