Sunday, May 9, 2010

राधा को भी मरना पड़ता

पत्रकार उस पर लड़की और तो और सुन्दर यानि इक के बाद इक बेहतर का मुलम्मा। उस पर दिल्ली में पढ़ी लाधे से प्यार न हो जाये क्या यह संभव है ? हुवा नम्रता को भी प्यार हुवा। प्यार में क्या कौम और क्या कास्ट। कुछ भी मायने नहीं रखता। अगर कुछ महत्वपूर्ण होता है तो वह है लड़का प्यार करने वाला, सच्चा, नेक दिल इन्सान हो। और निरुपमा का प्यार भी निकल पड़ा। लड़का नीची कास्ट का। लड़की ब्रह्मिन। न तो घर को पसंद न रिश्तदार को। यैसे में माँ बाप पशो पेश में। लड़की जो थी, भावना का इस्तमाल किया गया। निरुपमा को माँ की बीमारी की खबर के बहाने घर बुलाया गया। वहां जो कुछ हुवा सभी जानते हैं।

पिछले दो इक दिनों में मुजफ्फर नगरसे भी येसी ही घटना घटी.

आज राधा कृष्ण होते तो ज़रा कल्पना कर सकते हैं राधा का क्या हस्र होता। या तो राधा पंखे से लटकी मिलती या कहीं खेत में पड़ी रहतीं शिनाख्त के लिए। दूसरी ओर कृष्ण या तो जेल में होते। वैसे भी जेल से यतो उनका गर्भनाल रिश्ता है या ननिहाल फिर उनको ज्यादा परेशनी नहीं होती। लेकिन राधा के बारे में सोच कर दिल भर आता है बेचारी राधा का क्या हाल होता।

आज के माँ बाप प्रेम विवाह के विरोध में यूँ तन गए हैं गोया प्रेम न हुवा किसी का क़त्ल कर दिया हो। दिल इतना कठोर कैसे हो सकता है की अपनी औलाद को अपने ही हाथों मार सकते हैं। रिश्तेदार क्या अपनी औलाद से ज्यादा प्यारी हो जाती है की नाक के लिए क़त्ल कर सकती हैं वाही हाथ जिसने दूध मिलाया हो?

कुछ दिनों से आनर किल्लिंग के नाम पर देश के विभिन्न राज्यों से ख़बरें मिल रही हैं। पहले हरयाणा के खाप समुदाय के लोगों ने प्यार कर के घर बसने की चाह रखने वालों को सरे आम कतला कर दिया गया। या फिर सरपंच ने दोनों को भाई बहन के रूम में रहने के लिए विवश किया। गोया हरयाणा भारत का हिस्सा ही नहीं। वहां संविधान लागु ही नहीं होता। साफ तौर से कार्ट का आदेश है की प्रेम विवाह गलत नहीं है। प्रशासन यैसे जोड़ों को पूरी सुरक्षा देगी। लेकिन जो हुवा वो किसी से छुपा नहीं है।

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