कितनी मजे की बात है अपनी राजनीती में पहले नेता दुसरे को गली देते हैं और जब बात पर प्रतिक्रिया आती है तब तुरंत से अफ़सोस ज़ाहिर कर देते हैं यह कहते हुवे कि मेरा इरादा किसी कि भावना को ठेस पहुचाना नहीं था मगर दुःख हुवा तो मैं उसके लिए खेद प्रगट करता हूँ। कितना आसन काम है यह कह देना। मगर उतना ही कठिन है शब्द की मर को महसूस कर पाना।
बीजेपी प्रेसिडेंट नितिन गर्कारी ने लालू और मुलायम जिस को कांग्रेस और सोनिया गाँधी के तलवे चाटने वाला बताया। मगर जब बात बदती नज़र आई तो कह दिया कि वह तो मुहावरा था। मेरा मकसद किसी को चोट पहुचाना नहीं था। यह तो चलता ही रहता है। खास कर चुनाव के दिनों में इक दुसरे पर कीचड़ उछालना बेहद ही आम बात है। यद् कर सकते हैं मनमोहन जिस को आडवानी जिस ने क्या कहा था और पलट वर में मनमोहन जिस भी कम नहीं कहा। मगर सर्कार बनजाने के बाद दोनों नेता संसद में दोस्त की तरह मिले। दोनों ने ही कहा चुनाव के दौरान जो कुछ भी कहा सुना गया उसे भूल जाया जय।
राजनीती में कहा सुनी तो चलती ही रहती है। कोई इन पर कान देने लगे तो उसका तो हो गया दिमाग ख़राब। इस लिए तोर मोर चोर तो चलता ही रहता है।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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1 comment:
भैया जी विचार तो अच्छे हैं पर...नेता मानते कहाँ हैं????
हाँ आपकी अच्छी सी पोस्ट में कुछ खटक रहा है....कृपया अन्यथा न लेकर सही करेंगे...
गली ----------->शायद गाली होगा?
गर्कारी ---------> गड़करी में बदल दीजिये.
सर्कार ---------> को सरकार तो रहने दें.
और भी हैं देख लीजियेगा................... अन्यथा नहीं लेंगे...
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
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