Friday, December 25, 2009

२००९ की अंतिम साँस

२००९ की अंतिम साँस के बारे में आपभी सोच रहे हैं या नहीं? अगर नहीं तो क्यों नहीं क्या आपके दिलचस्पी नहीं रही इन सब में या कि संत हो गए। दोनों ही दशा में आदमी साथ साथ अपनी जमा पूंजी का लेखा जोखा भूल जाता है। तो क्या आप नहीं चाहते कि जाते हुआ साल में ज़रा जानें तो कि क्या खोया और अपने हाथ क्या लगा?
देश दुनिया की राजनीती हो या भूगोल हर जगह कुछ बड़ा घटा है इस साल वह जगह है कोपेन्हागें जहाँ दुनिया की तमाम लीडर्स मिले। आवास तो वर्ल्ड इन्वोर्न्मेंट को बचाने के लिए कुछ खास दस्तावेज़ पर सहमती होनी थी। मगर यह मीटिंग बेनातिज़ रहे। खुद ओबामा मानते है कि देशों के बीच सही तालमेल की कमी की वजह से यह मीटिंग अपने उधेश्य में सफल नहीं हुई।
साहित्य एंड कला की बात करें तो हिंदी की लब्ध नाम कैलाश वाजपई के २००९ का साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा जायेगा। कुछ वरिष्ठ पत्रकार ,लेखक हमारे बीच से रुख्शत हुए। प्रभाष जोशी जी भी आखिर कागद कारे करने अब उस लोक चले गए। बातें और भी हैं _ रफ्ता रफ्ता हम इक इक कर बात करेंगे.....

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