Thursday, July 16, 2009

पाक की समस्या

पाक और भारत के दरमियाँ सार्थक बातचीत तभी हो सकती है जब पाक अपने पाक इरादे से बातचीत के लिए तैयार हो। लेकिन उस की समस्या यही है की वहां की सरकार १९४७ के विभाजन पर ही शासन कर रही है। ज़रा सोचें जो सरकार देश अतीत में अटकी चेतना के दोहन कर के शासन कर रही है वो किसी भी सूरत में सार्थक संवाद कैसे कर सकती है। बेशक पाक विश्व के दवाव में आतंक के खात्मे पर ताल थोक कर खड़ा हो जाएमगर उस देश के लोग उसे वैसा करने नही देंगे। ज़रदारी के साथ क्या हुवा सब जानते हैं, इधर मनमोहन जी को कहा के पाक ने आतंक के लिए अपनी ज़मीं के इस्तमाल होने दिया है। यह कहना था की पाक की अस्सिम्बली में सरकार को घेर लिया गया। जिसमे नवाज़ शरीफ की भी अहम् भूमिका रही।
पाक के साथ हमारे रिश्ते यूँ सुधर नही सकते जब तक की पाक अपनी तरफ़ से आतंक को बधवा देना बंद नही कर देता। मगर उस देश के सामने जो मंज़र है उसे भी हमें समझना होगा। कुछ कदम हमें भी बढ़ने होंगे जो पाक में अमन चैन ला सके। क्या पाक महफूज है येसा नही कह सकते। बहरहाल वकुत तो लगेगा दोनों देशो में विश्वाश बहल होने में,।

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