Friday, February 20, 2009

सपने क्या यूँ ही टुटा कर्तवे हैं

सपने तो यूँ ही आखों में आ आ कर बिखर जाया करते हैं, तो क्या सपने देखना हम छोड़ दे नही बिल्कुल नही।

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