Thursday, February 12, 2015

बहार ए बाहर


कभी सोचा भी नहीं होगा कि कल जब वो आॅफिस आएंगे तो उनका एसेस राइट छीन ली जाएगी। वो कम्प्यूटर नहीं खोल सकते। गेट से अंदर आने के बाद सब कुछ बदला बदला होगा। साथ काम करने वाले भी उनसे मंुह चुराएंगे। उनकी गलती क्या थी इस पर कोई खुल कर बोलेगा भी नहीं। सब तरफ ख़ामोशी और शांति पसरी होगी। सब को इसका डर सता रहा होगा कि कहीं बात करते कोई नोटिस न कर ले। 
दुनिया भर में 2008 में मंदी के दौरान इस तरह की घटनाएं आम देखी जा रही थीं। रातों रात लोगों के हाथ से नौकरी यूं फिसल रही थी जैसे रेत हो मुट्ठी में। रात काम कर के गए सुबह बे नौकरी हो गए। किसको क्या बताएं। कि घर जल्दी क्यों आ गया वो। 
2008 ही नहीं बल्कि कई कंपनियों में आज भी यह मंजर देखा जा सकता है। कोई कैसे रोतों रात सड़क पर आ जाता है इसका उसे इल्म तक नहीं होता। घर बाहर हर जगह उससे कई सवाल करती आंखें घूरने लगती हैं। न घर में चैन से रह पाता है औ...

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