Friday, September 5, 2014

गानों से भी सीख सकते हो हिन्दी


कौशलेंद्र प्रपन्न
First Published:03-09-14 09:55 AM
Last Updated:03-09-14 09:55 AM
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आज गाने कौन नहीं सुनता? छोटे से लेकर बड़ों तक और गांव से लेकर शहर तक। चाय की दुकान पर, रिक्शेवाले, कार वाले, स्कूल वाले, कॉलेज वाले सभी गानों को सुनने में मगन दिखाई देते हैं। गाने सुनने के भी कई फायदे हैं। जो चीजें किताबों में पढ़ने में रुचिकर नहीं लगतीं, वही गाने सुनने के दौरान उन चीजों को भी दुहराने लगते हैं जिसे कभी किताबों में पढ़ा था। हर गाने में कोई न कोई स्टोरी भी होती है। वैसे हर गाने में न केवल बोल होते हैं, बल्कि शब्द होते हैं और उस गाने को गुनगुनाने लायक बनाने के लिए उसे संगीतबद्ध भी करना पड़ता है।
हिन्दी की किताबों में छोटे -छोटे शब्द, वाक्य, पूरा का पूरा एक पैराग्राफ लिखा जाता है। उसे याद करना और सही तरीके से लिखना भी बड़ी समस्या है। तुम्हें व्याकरण की नजर में हिन्दी के वाक्य कठिन लगते होंगे। कौन सी पंक्ति स्त्रीलिंग होगी? कौन सा शब्द पुल्लिंग है और कौन सा शब्द स्त्रीलिंग, इसके चक्कर में कई बार फंसे होगे। जैसे बस आती है या आता है? दुकान खुली है या खुला है? दही खट्टा है या खट्टी है? ऐसे कई सारे शब्द हैं, जिनमें अमूमन कठिनाई होती है।
अगर तुम हिन्दी के गानों को ध्यान से सुनोगे और उन गानों में इस्तेमाल किए गए शब्दों, वाक्यों को गौर से सुनोगे तो व्याकरण की इस तरह की कठिनाइयों का समाधान मिलेगा। यूं तो कई गाने महज पार्टी, डांस आदि को ध्यान में रखते हुए लिखे जाते हैं। उसमें बोल से ज्यादा धुन, म्यूजिक आदि प्रमुख होते हैं। लेकिन कुछ गानों में बोल यानी शब्द बहुत सोच-समझकर प्रयोग किए जाते हैं।
गानों में शब्द, वाक्य, भाव को बड़ी सावधानी से पिरोया जाता है। यही वजह है कि ‘डोले रे डोले डोले डोले रे। अगर मगर डोले नैया भंवर भंवर जाए रे पानी..डूबे न डूबे न मेरा जहाजी..’ गाना बच्चों को खूब पसंद है। अब से गानों को सुनो तो उसकी हिन्दी व्याकरण पर भी ध्यान देना। सुनते-सुनते हिन्दी भी ठीक हो जाएगी।

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