Wednesday, May 22, 2013

उदास मना शिक्षक
गर्मी की छुटिटयों में दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग 'इन सर्विस प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित कर रही हैं। इन कार्यशालाओं में जीवन कौशल, संप्रेषणीयता, पाठयक्रम, सुरूचिपूर्ण कक्षा अध्यापन, सृजनात्मक लेखन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 आदि पर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके पीछे उददेश्य यही है कि अध्यापकअध्यापिकाएं अपनी दक्षता में वृद्धि कर सकें और स्कूल खुलने पर कक्षा में इस्तेमाल कर सकें। इसका लाभ सीधे-सीधे बच्चों को मिल सके। इन पंकितयों के लेखक को इस कार्यशाला में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, जीवन कौशल और सृजनात्मक लेखन पर बातचीत करने का अवसर मिला। तकरीबन 900 अध्यापकअध्यापिकाओं से रू ब रू होने के बाद जो हकीकत सामने आर्इ वह यह कि अध्यापक वर्ग बेहद निराश एवं उदास हैं। उनकी उदासी, निराशा का कारण प्रशासनिक एवं नीतिगत स्तर पर थीं। मसलन शिक्षा के अधिकार अधिनियम बनाते वक्त अध्यापकों की राय क्यों नहीं ली गर्इ। वास्तव में एक कक्षा में 60 से लेकर 80 और 100 बच्चों की उपसिथति और अध्यापक एक। इतने बच्चों को एक अध्यापक कैसे पढ़ा सकता है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करती है लेकिन हमारा अधिकांश वक्त कागजी कामों को अंजाम देने में बीत जाता है आदि। इसी तरह की प्रतिकि्रयाएं इन कक्षाओं में सुनने को मिलीं।

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