साल तो नया आएगा ,
होगी वही बाते,
दिन भी वही रात भी वही...
बॉस कैलंडर की तारीखें,
रंग बदल जायेंगे,
कुछ आदते कहीं रस्ते में रह जाएँगी...
कुछ और वायदे करेंगे खुद से,
तुम से और उनसे,
पर वह भी कैलंडर के साथ पलट जायेगे....
हाँ कुछ तो नया होगा,
कुछ दोस्त बनेंगे,
कुछ पुराने दम तोड़ देंगे....
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Thursday, January 6, 2011
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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