Wednesday, August 19, 2009

जस अंत

जसवंत का जस अंत हो गया। पार्टी ने आखिरकार बाहिर का रास्ता दिखा दिया। जसवंत साहब के अपने दर्द हैं, मुझे डेल्ही में ही बता दिया होता। कम से कम मिल कर बताते मगर मुझे तो रावन बना दिया। कभी मैं पार्टी में हनुमान के रूप में देखा जाता था पर आज तो मेरी....
क्या किताब लिखना महज वजह है या की कुछ और। और यह भी जानना होगा की इसके पीछे क्या मनसा रही। क्या कोई ये बता सकता है के किताब लिखना मेरे पार्टी से निकला गया है या की पार्टी के ऊपर किसी तरह का दबाव कम कर रहा है।
जो भी हो मुझे शब्दों के कीमत चुकानी पड़ी

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