Wednesday, June 17, 2009

बहिन

मेरी बहन ने इस साल,
नही बांधे ,
किसी पेड़ को धागे,
न ही काटे चक्कर,
हाँ हर रोज सुबह ,
तिफ्फिन में रखे ,
रोटी और आचार,
इस विश्वास के साथ के,
वो शाम लौट,
आयेंगे।
पर...
इस साल पेड़ में धागे बंधते,
देख आखें भर आयें,
अगर धागे बंधते उसके भी राम सलामत
रहते उसके भी राम तो पुरी साड़ी ओढा आती
नही ही लौटे राम बहन के ,
बिटिया खाना खाते समय पूछती है-
माँ तुमने कहा था,
पापा कहीं गए हैं...
मैं भूल गई,
कहाँ गए हैं बतावो न...
बहिन दूध में बोर कर,
रोटी खिलाती है,
ताकि भूल जाए,
की उसके पापा जहाँ चले गए ,
कोई लौट आता है भला.....

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