Wednesday, May 6, 2009

फिल्मी गीतों में केवल बुरे अल्फाज़ धुन्धने निकला जाए तो सब के सब बुरे ही नज़र आयेंगे। लेकिन येसा नही है कई गीत यैसे हैं जिसे आज भी गुनगुना कर जी हल्का होता है। केवल गीतों में हल्केपन को तलाशा जाए तो यह अलग बात है। दर्शन भी है, जीवन भी है साथ ही चुहल है सरे तो जीवन के रंग ही तो हैं कोई क्या इन रंगों से ख़ुद को विल्गा सकता है। संभतः नही।

जाने वो कोण सा देश जहाँ तुम चले गए , न चिट्ठी न संदेश जाने वो कोण सा देश जहाँ तुम चले गए

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