मंदी पहले से ज़यादा गंभीर होती जा रही है। सरकार ने इसे गंभीरता से नही लिया तो हालत और भी बिगड़ ही जायेगी। देखा गए तो सरकार से अपने तरफ़ से कोशिश कर रही है पर वो पर्याप्त नही कहा जा सकता। कपनियां इस मंदी से निपटने के लिए जो रास्ता अपना रहे हैं उसे क्या नाम किया जाए। प्रस्ताव आए है की लोग महीने में १० १८ दिन कम करे और ५० फिसिदी सैलरी लें। दूसरी बात यह कही जा रही है की १० से १८ माह छुट्टी ले कर ट्रेनिंग लें और सैलरी के २५ फीसदी घर बैठ कर लें। जब बाज़ार की हालत थी होगी या कंपनी दुरुद्स्त हो जायेगी तब उन्हें काम पर रख लिया जाएगा।
येसी हालत को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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