सूचना तकनीक सेवा में इन दिनों अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। आईटी कंपनियों में इन दिनों बड़ी तेजी से उच्च पदों पर कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। एलिक्जर, एचसीएल,टेक महिन्द्रा आदि ने अपने कर्मियों की छंटनी शुरू कर दी है। कुछ कंपनियों में वीपी स्तर के कर्मियों को एचआर बुलाकर विकल्प दे रही हैं कि छह माह या साल भर की सैलरी लेकर कल से आना बंद कर दें। अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि जिन्हें इस विकल्प से गुजरना पड़ रहा होगा उनपर क्या गुजर रही होगी। हालांकि अभी जिन लोगों को यह विकल्प दिया गया है उनकी सैलरी करोड़ रुपए तो हैं ही। यह एक कौशल विकास भारत की दूसरी तस्वीर है। एक ओर स्कील इंडिया पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं वहीं उसी देश में जॉब्स जा रही हैं। लोग बेरोजगार भी हो रहे हैं। आईटी सेक्टर के जानकार ताकीद कर रहे हैं कि यह एक वैश्विक मंदी का दौर है। सन् 2008-10 के दरमियान आई मंदी की पुनरावृत्ति है। विशेषज्ञों को मानना है कि आने वाले तीन साल तक हर साल दस लाख से भी ज्यादा नौकरियां कम से कम आईटी सेक्टर में खत्म होने वाली हैं। मैक्कींसे की जनवरी में आई रिपोर्ट की मानें तो भारत में आईटी सेक्टर ने 3.7 मिलियन जॉब्स प्रदान की हैं। लेकिन इस रिपोर्ट में यह भी हिदायत दी गई है कि आने वाले दो तीन सालों में इनमें से आधी अप्रासंगिक हो जाएंगी। यानी आईटी के जिस क्षेत्र में आज कर्मचारी काम कर रहे हैं कल उन्हें नई तकनीक का सामना करना होगा जिसके लिए वे तैयार नहीं होंगे। इस बाबत उन लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
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Friday, May 19, 2017
आईटी सेक्टर कर्मियों की छंटनी शुरू
सूचना तकनीक सेवा में इन दिनों अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। आईटी कंपनियों में इन दिनों बड़ी तेजी से उच्च पदों पर कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। एलिक्जर, एचसीएल,टेक महिन्द्रा आदि ने अपने कर्मियों की छंटनी शुरू कर दी है। कुछ कंपनियों में वीपी स्तर के कर्मियों को एचआर बुलाकर विकल्प दे रही हैं कि छह माह या साल भर की सैलरी लेकर कल से आना बंद कर दें। अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि जिन्हें इस विकल्प से गुजरना पड़ रहा होगा उनपर क्या गुजर रही होगी। हालांकि अभी जिन लोगों को यह विकल्प दिया गया है उनकी सैलरी करोड़ रुपए तो हैं ही। यह एक कौशल विकास भारत की दूसरी तस्वीर है। एक ओर स्कील इंडिया पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं वहीं उसी देश में जॉब्स जा रही हैं। लोग बेरोजगार भी हो रहे हैं। आईटी सेक्टर के जानकार ताकीद कर रहे हैं कि यह एक वैश्विक मंदी का दौर है। सन् 2008-10 के दरमियान आई मंदी की पुनरावृत्ति है। विशेषज्ञों को मानना है कि आने वाले तीन साल तक हर साल दस लाख से भी ज्यादा नौकरियां कम से कम आईटी सेक्टर में खत्म होने वाली हैं। मैक्कींसे की जनवरी में आई रिपोर्ट की मानें तो भारत में आईटी सेक्टर ने 3.7 मिलियन जॉब्स प्रदान की हैं। लेकिन इस रिपोर्ट में यह भी हिदायत दी गई है कि आने वाले दो तीन सालों में इनमें से आधी अप्रासंगिक हो जाएंगी। यानी आईटी के जिस क्षेत्र में आज कर्मचारी काम कर रहे हैं कल उन्हें नई तकनीक का सामना करना होगा जिसके लिए वे तैयार नहीं होंगे। इस बाबत उन लोगों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई है।
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