Tuesday, December 13, 2016

उत्तर प्रशिक्षण कार्यशाला अध्यापकीय कक्षा अवलोकन


कौशलेंद्र प्रपन्न

उद्देश्य-
शिक्षक/शिक्षिका प्रशिक्षण उपरांत क्या शिक्षण कार्यशाला में बताए शिक्षण कौशलों का इस्तमाल कर पा रहे हैं?
क्या प्रशिक्षण के पश्चात् शिक्षक अपनी कक्षा में नई शैली का प्रयोग कर रहे हैं?
क्या उन्हें दुबारा कार्यशाला की आवश्यकता है।
हिन्दी शिक्षण कार्यशाला की आवश्यकता और शिक्षकीय शिक्षण कौशल में किस प्रकार हम मदद कर सकते हैं इन्हें ध्यान में रखते हुए कार्यशाला का आयोजन करते हैं। इन कार्यशालाओं में हिन्दी क्षेत्र के प्रख्यात शिक्षक/प्रशिक्षक/कवि/लेखक और कथाकारों को आमंत्रित किया जाता है। दिल्ली के विभिन्न शिक्षण संस्थानों-एनसीईआरटी, एससीईआरटी, डाइर्ट और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को कार्यशाला का हिस्सा बनाया जाता है।


कार्यशाला के पश्चात् क्या शिक्षकों के शिक्षण कौशल और कक्षायी वातावरण में कोई बदलाव घटते हैं यदि हां तो वह किन स्तरों पर दिखाई देता है, इसका आलोकन हमारे कार्यशाला का एक प्रमुख अंग है। इन उद्देश्यों को पाने व जांचने के लिए हमने अगस्त से दिसबंर के मध्य कुछ विद्यालयों में शिक्षकों की कक्षाओं का अवलोकन किया।

हमने इन अवलोकनों में पाया कि उत्तर प्रशिक्षण कार्यशाला न केवल शिक्षकों के व्यवहार में बदलाव देखे गए बल्कि वे पहले जिस शैली में हिन्दी पढ़ाती/पढ़ाते थे उनमें भी गुणात्मक सुधार पाए गए। कक्षाओं में लिखित और मुद्रित सामग्रियों की बहुतायत मात्रा में उपस्थिति देखी गई। बच्चा कक्षा में ज्यादा से ज्यादा लिखित शब्दों, कहानी, कविता को देखे इसके लिए मैग्जीन और पत्र बनाने का अभ्याय कार्यशाला में कराया गया जिसका उदाहरण हमें कई कक्षाओं में देखने को मिलीं।

कविता कहानी का वाचन और पठन कैसे किया जाए ताकि बच्चों में रूचि जगे इसके लिए कार्यशाला में बताई गई गतिविधियों का प्रयोग शिक्षक/शिक्षिका कक्षा में करते हुए मिले। कुछ कक्षाओं के अवलोकन के बाद हमें महसूस हुआ कि हमें शिक्षकों में प्रस्तुतीकरण और आत्मविश्वास विकास पर भी ध्यान देना चाहिए।








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