इस विश्व पुस्तक मेले में बहुत सी किताबों के घूंघट उठाए जा रहे हैं। रोज़ किताबों को अनावर्नित किया जा रहा है। वो किताबें खुश हैं। मगर उन किताबों का क्या जो अपनी पारी के इंतजार में हैं। उन्हें भी कोई पुचकारे, पलटे और कहीं किसी के बैग में आए और घर में पहंुचे। ऐसी बहुत सी किताबें हैं प्रकाशकों के स्टाॅल पर चुपके चुपके कह रही हैं आओ जी हमें भी पढ़ो। हमारे मुखड़े से घूंघट उठा दो।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Tuesday, February 18, 2014
घूंघट में किताबें
इस विश्व पुस्तक मेले में बहुत सी किताबों के घूंघट उठाए जा रहे हैं। रोज़ किताबों को अनावर्नित किया जा रहा है। वो किताबें खुश हैं। मगर उन किताबों का क्या जो अपनी पारी के इंतजार में हैं। उन्हें भी कोई पुचकारे, पलटे और कहीं किसी के बैग में आए और घर में पहंुचे। ऐसी बहुत सी किताबें हैं प्रकाशकों के स्टाॅल पर चुपके चुपके कह रही हैं आओ जी हमें भी पढ़ो। हमारे मुखड़े से घूंघट उठा दो।
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