Wednesday, June 12, 2013

मार्केट @11
नाम बेशक अलग मिल सकते हैं लेकिन आशय, उद्देश्य एक ही है वो यह कि कम दाम में सब्जियां मिल जाएं। जाते जाते दुकानदार अपनी सब्जियां कम दामों में बेच कर घर जाना चाहता है और इसी का फायदा ख़रीद्दार उठाता है।
दिल्ली में विभिन्न इलाकों में अलग-अलग दिन के नाम पर ही बाजार के नाम है। मसलन सोम बाजार, वीर बाजार, रवि बाजार, शुक्र बजार आदि। हर हप्ते के नाम पर बाजार। दिल्ली के बाहर भी ऐसे बाजारों को देख सकते हैं।
हरिद्वार में पीठ नाम है ऐसे बाजारों का। कहीं हाट तो कहीं मीना बाजार। हर बाजार में भीड़ वही, दुकानदारों के साथ मोल भाव करते ग्राहक और ताम-झाम।
दिल्ली में अमूमन अब लोग ऐसे बाजार में रात 11 बजे ज्यादा जाना पसंद करते हैं। क्योंकि इस समय दुकानदार अपनी दुकान बढ़ाकर घर जाना चाहता है। तो जाहिर है जैसे-तैसे सामानांे को बेच कर फारिक होना चाहता है। और इसी का फायदा उठाने वाले रात 11 बजे के आस पास बाजार आया करते हैं। हालत यह होती है कि इस समय भीड़ टकरा रही होती हैं।

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