Thursday, April 5, 2012

ग्लोवल एक्शन वीक २३ अप्रैल से २९ अप्रैल तक

गौरतलब है की न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में भूख, कुपोषण, जन्मते बाल मृतु दर काफी है. २००१ में ९१४ लडकिय जन्मते मर जाती थीं वहीँ यह फीसदी कम होने के स्थान पर २०११ में यह आकड़ा ९४६ तक पहुच गया है. शिक्षा , स्वाथ्य, सुरक्षा भूख आदि से बच्चों को निजाद दिलाने के लिए विश्व के नेतावो ने नेशनल कोन्वेन्तिओन ऑफ़ चिल्ड रिघ्ट्स की घोषणा की थी. यानि २०१५ तक दुनिया के तमाम  बच्चे  शिक्षा, भूख, स्वाथ्य से वंचित नहीं रहेंगे. लेकिन आकडे बताते हैं की अभी भी देश के ८० लाख से भी अधिक बच्चे जनमते ही मर जाते हैं. इनमे लड़कियों की संख्या अधिक है. जनम के पहले २९ घंटे खासे अहम् होते हैं. इसी दौरान तमाम तरह के खतरे बच्चों पर होते हैं. यदि इस समय हमने संभल कर बच्चों को निकल लिया फिर वो जी जाते हैं.
ग्लोवल एक्शन वीक २३ से 29  अप्रैल को पुरे देश में एअर्ली चिल्धूद केयर एंड एदुकतिओन पर केन्द्रित कार्यक्रम करने जा रही है. इस दौरान पिक्टुरेस, स्लोगन, कहानी, बाल केन्द्रित प्रोग्राम आयोजित होंगे. इस के पीछे लक्ष्य आम लोगों के साथ ही सरकार के बीच जागरूकता पैदा करना है.
गौरतलब है की राईट तो एदुकतिओन शिक्षा का अधिकार २००९ महज ६ से १४ साल के बच्चों की शिक्षा की बात करता है. सवाल युथ्ता है की ० से  ६ साल के बच्चों को किसके कंधे पर डालें. ० से ६ साल के बच्चों को संजयान लेते हुवे ग्लोवल एक्शन वीक शुरू के ० से ३ साल के बच्चों की शिक्षा , स्वथ्या का मुदा ले कर आवाज बुलंद कर रहा है.
० से ३ साल का टाइम वो होता है जिसमे बच्चों को स्वाथ्य के प्रति खासे सजग होना होता है. लेकिन दुर्भाग्य है की इसी आयु के बच्चे ज्यादा काल के गाल में समां जाते हैं.                      

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