Monday, June 13, 2011

खबर की कीमत

खबर कूटने वाला जीव पत्रकार इक दिन खुद पेज पर स्टोरी में तब्दील हो जाता है। मुंबई से प्रकाशित मिड दे के स्पेशल खोजी टीम के अगुवा दे की शनिवार की हम गोली से भुन दी गई। दोष साहब उन्देर्वोर्ल्ड की जमीन की हलचल लोगो के सामने लाया करते थे। यहाँ तक की उनकी रिपोर्टिंग इस कदर प्रमाणिक होती कि मुंबई पोलिसे भी दांग रह जाती। यह ददयों के बस से बहार था कि कोई इस तरह उनकी अंदुरीनी पेंच जनता है। शुरू में धमकी फिर धमकी और अंत में मिली गोली......
इक इमानदार पत्रकार को खामोश कर दिया गया। आज पत्रकारिता के सिपाही वो नहीं रहे जो कभी पत्रकारिता के शुरूआती सफ़र में थे। उनने पत्र को हथियार की तरह इस्तमाल किया। उनको न धमकी न पेड़ खबर की धन्धेबाज़ अपनी रह से डिगा पते थे। लेकिन इक दौर यह भी आये जब पत्रकार और पत्र की साथ राजनीति और अन्दार्वोर्ल्क से हवा। तब कलम रिरियाने लगी।
पकिस्तान में भी पिछले दिनों शहजाद पत्रकार को आतंद के सरगना की बलि चदा दी गई । उस का भी दोष यही था। उसने भी आतंदी संगठन की अन्दर की बातें और प्लान आम कर रहा था। पत्रकार की निष्ठां और जीमेदारी क्या होती है कैसे निभायी जाती है यह इनसे सिखने की जरूरत है।
खबर जान की कीमत पर देने वाले पत्रकार की जरूरत आज ज्यादा है।

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