Dream comes in eyes,
day n night,
noon n eve,
not a single moment he doesn't come,
always he comes with lots of thought,
i try to understund,
my eyes full of dream,
no space for regreat on past...
sapne hain to neend kaise aayegi,
raat din chubhte hain sapne ean aakho me...
pathri aakhen kahan dekh pati hain sapne...
sapne pure hote hain gar...
ho jagba,
lagan pura karne ke.
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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